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यह कैसे संभव हुआ कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम एक ही रात में यरुशलम गए, फिर आसमानों की सैर की और उसी रात वापस भी आ गए?

मानव प्रौद्योगिकी ने एक ही क्षण में दुनिया के सभी हिस्सों में मानव आवाज और छवियों को पहुँचा दिया, तो क्या 1400 साल से अधिक पहले मानव जाति के सृष्टिकर्ता के लिए आत्मा और शरीर के साथ अपने पैगंबर को आसमान तक ले जाना संभव नहीं है? नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने जिस जानवर की सवारी की थी, उसका नाम बुराक़ है। बुराक़ एक लंबे और सफ़ेद जानवर का नाम है, जो गधे से बड़ा एवं खच्चर से छोटा होता है। जो (इतनी तेज़ छलांग लगाता है कि) अपनी दृष्टि की सीमा पर क़दम रखता है। उसकी एक लगाम एवं एक ज़ीन (काठी) होती है। अंबिया -उन सब पर अल्लाह की शांति हो- उसकी सवारी करते हैं। (यह बुख़ारी एवं मुस्लिम का वर्णन है)

''इसरा एवं मेराज'' का सफर अल्लाह की सम्पूर्ण क्षमता एवं उसके इरादे से हुआ है, जो हमारी सोच से ऊपर एवं हमारी जानकारी के सभी क़ानूनों से भिन्न है। यह सारे संसारों के रब की क़ुदरत के प्रमाणों एवं निशानियों में से एक है, क्योंकि उसी ने इन कानूनों को बनाया है।

नबी मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने आयशा से शादी क्यों की, जबकि वह छोटी उमर की थीं?

हम सहीह बुख़ारी (जो हदीस की सबसे प्रामाणिक पुस्तक है) में रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के लिए आयशा -अल्लाह उनसे राज़ी हो- की गहरी मुहब्बत की बात पाते हैं और देखते हैं कि उन्होंने इस शादी की कभी शिकायत नहीं की।

आश्चर्य है कि उस समय रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के दुश्मनों ने आप पर सबसे घटिया आरोप लगाए। आपको कवि कहा, पागल कहा, परन्तु उन्होंने इस बाबत आपपर लांछन नहीं लगाया और न इसका किसी ने उल्लेख किया। मगर इस समय के कुछ स्वार्थी लोगों की तरफ से यह मुद्दा उठाया गया है। यह मामला या तो उन प्राकृतिक चीजों में से एक है, जो उस समय लोगों में आम थीं, जैसा कि छोटी उमर में बादशाहों की शादी की कहानियाँ हमें इतिहास के पन्नों में मिल जाती हैं। ईसाई धर्म में मरयम की उम्र का उदाहरण ले लें। ईसा के उनके गर्भ में आने से पूर्व लगभग नव्वे साल के एक पुरूष की तरफ से उन्हें शादी का पैग़ाम भेजा गया था। उस समय मरयम की उमर रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से आयशा की शादी के समय आइशा की की उम्र के आसपास ही थी। या 11वीं शताब्दी में इंग्लैंड की रानी इसाबेला की कहानी की ले लें, जिन्होंने आठ साल की उमर में शादी कर ली। इसके और भी दुसरे उदाहरण मौजद हैं। या फिर पैगंबर की शादी की कहानी वैसी नहीं है, जैसी कि लोग कल्पना करते हैं। क्या बनू कुरैज़ा के यहूदियों के हत्याकांड तथा लूटमार एवं हत्या आदि के दंड को अमानवीय न समझा जाए?

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बनू कुरैज़ा के यहूदियों ने वचन तोड़ा था और मुसलमानों को ख़त्म करने के लिए बहुदेववादियों का साथ दिया था। चुनांचे उनके इस षडयंत्र ने उन्हीं को नष्ट कर दिया, जब उनको धोखे एवं वचन तोड़ने का प्रतिफल दिया गया। वह भी बिल्कुल उनकी शरीयत ही के अनुसार। अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने उनको विकल्प दिया था कि वे अपने बारे में निर्णय लेने के लिए जिसको चाहें, चुन लें। चुनांचे उन्होंने आपके एक साथी को चुना था, जिन्होंने उनकी शरीयत के अनुसार किसास (बदले) का निर्णय दिया था। [153] [तारीख़-ए-इस्लाम : 2/307-318]

आज संयुक्त राष्ट्र के क़ानूनों में देशद्रोहियों और गदर करने वालों की सज़ा क्या है? केवल कल्पना कीजिए कि लोगों के एक समूह ने आपको तथा आपके पूरे परिवार को मार डालने और आपका धन छीन लेने का निश्चय कर लिया हो, तो आप उनके साथ क्या करेंगे? बनू कुरैज़ा के यहूदियों ने वचन तोड़ा और मुसलमानों को ख़त्म करने के लिए बहुदेववादियों के साथ खड़े हो गए। उस समय मुसलमानों को अपनी रक्षा के लिए क्या करना चाहिए था? मुसलमानों ने इस संबंध में जो किया, वह तर्कसम्मत था। उन्हें अपना बचाव करने का अधिकार था।