नबी मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- बिन अब्दुल्लाह बिन अब्दुल मुत्तलिबब बिन हाशिम, अरब के क़बीला क़ुरैश से हैं, जो मक्का में रहता था। आप इस्माईल बिन इब्राहीम -उन दोनों पर अल्लाह की शांति हो- की नस्ल से थे।
जैसा कि ओल्ड टेस्टामेंट में उल्लेख किया गया है, अल्लाह ने इस्माईल को आशीर्वाद देने और उनके वंश से एक महान समुदाय को निकालने का वादा किया था।
"इस्माईल के विषय में मैंने तेरी सुन ली। देख, मैं उसको आशीष दूंगा, उसे प्रदान करूँगा, और बहुत बढ़ाऊंगा, बारह हाकिम, वह जनेगा, और मैं उससे एक बड़ी जाति बनाऊंगा।" [136] ओल्ड टेस्टामेंट, उत्पत्ति पुस्तक 17:20
यह सबसे बड़ा प्रमाण है कि इस्माईल, इब्राहीम -उन दोनों पर अल्लाह की शांति हो- के वैध पुत्र थे। ओल्ड टेस्टामेंट, उत्पत्ति पुस्तक 16:11
''और रब के दूत ने उससे कहा : सुन, तू गर्भवती है, और तेरे यहाँ एक पुत्र होगा, और उसका नाम इस्माईल रखना, क्योंकि रब ने तेरी विनय को सुन लिया है।'' [137] ओल्ड टेस्टामेंट, उत्पत्ति पुस्तक 16:3
''इब्राहीम -अलैहिस्सलाम- की पत्नी सारा ने अपनी मिस्री दासी हाजरा को कनान की भुमि में इब्राहीम के दस साल के निवास के बाद लिया, और उसे इब्राहीम को पत्नी के रूप में प्रदान किया।'' [138]
मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- मक्का में पैदा हुए, उनके पैदा होने से पहले उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। बचपन में ही आपकी माँ भी चल बसीं, तो आपके दादा ने आपकी देखभाल की। फिर आपके दादा भी चल बसे, तो आपके चचा अबू तालिब ने आपको संभाला।
आप अपनी सच्चाई एवं अमानतदारी में प्रसिद्ध थे। आप जाहिलियत के लोगों के साथ न बैठते थे। न उनके साथ मनोरंजन और खेल में और न नृत्य तथा गायन में या शराब पीने में शामिल होते थे और न ही इन कामों के करीब जाते थे। फिर नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- इबादत करने के लिए मक्का के निकट एक पहाड़ में (हिरा गुफा) जाने लगे। इसी स्थान पर आपपर पहली वह्य (अल्लाह का संदेश) आयी। महान एवं उच्च अल्लाह की ओर से एक फ़रिश्ता आया और आपसे कहा : पढ़, पढ़। नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- पढ़ना-लिखना नहीं जानते थे। आपने फरमाया : मैं पढ़ना नहीं जानता हूँ। फ़रिश्ते ने दोबारा आग्रह किया। आपने फरि कहा : मैं पढ़ना नहीं जानता हूँ। फ़रिश्ता ने एक बार और आग्रह किया और आपको अपने साथ पकड़ कर इस तरह भींचा कि आपकी हड्डी पसली एक हो गई और फिर कहा : पढ़। आपने फिर कहा : मैं पढ़ना नहीं जानता हूँ। तीसरी बार उन्होंने कहा : "अपने पालनहार के नाम से पढ़, जिसने पैदा किया। जिसने मनुष्य को रक्त को लोथड़े से पैदा किया। पढ़, और तेरा पालनहार बड़ा दयालु है। जिसने लेखनी के द्वारा ज्ञान सिखाया। इन्सान को उसका ज्ञान दिया जिसको वह नहीं जानता था।" [139] आपकी नबूवत का प्रमाण :
[सूरा अल-अलक़ : 1-5]
इसे हम आपकी जीविनी में पाते हैं। आप एक सच्चे एवं अमानतदार व्यक्ति के तौर पर जाने जाते थे। अल्लाह तआला ने कहा है :
"इससे पहले तो आप कोई किताब पढ़ते न थे और न किसी किताब को अपने हाथ से लिखते थे कि यह बातिल की पूजा करने वाले लोग शक में पड़ें।'' [140] [सूरा अल-अनकबूत : 48]
रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- जिस बात का आह्वान करते, सबसे पहले उसे अपने आप पर लागू करते। आपके काम आपकी बातों की पुष्टि करते। आप अपने आह्वान के लिए कभी भी दुनिया में बदला नहीं चाहते थे। आपने गरीब, उदार, दयालु और विनम्र होकर जीवन बिताया। आप सबसे अधिक बलिदान देने वाले एवं लोगों के पास जो कुछ है, उसके बारे सबसे अधिक विमुख होकर रहे। अल्लाह तआला ने कहा है :
''यही वे लोग हैं, जिन्हें अल्लाह ने मार्गदर्शन प्रदान किया, तो आप उनके मार्गदर्शन का अनुसरण करें। आप कह दें : मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। यह तो सारे संसारों के लिए एक उपदेश के सिवा कुछ नहीं।'' [141] [सूरा अल-अनआम : 90]
आप -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने अपनी नबूवत की सच्चाई पर क़ुरआन द्वारा प्रमाण पेश किए, जो क़ुरआन उन्हीं की भाषा में था और जो बयान एवं वाक्पटुता के शीर्ष पर था, जो उसे मानव की रचना से उपर करती है। अल्लाह तआला ने कहा है :
"क्या वे क़ुरआन पर विचार नहीं करते? यदि वह (क़ुरआन) अल्लाह के अतिरिक्त किसी और की ओर से होता, तो वे उसमें बहुत अधिक विरोधाभास पाते।" [142] [सूरा अल-निसा : 82]
''बल्कि क्या वे कहते हैं कि उसने इस (क़ुरआन) को स्वयं गढ़ लिया है? आप कह दें कि इस जैसी गढ़ी हुई दस सूरतें ले आओ और अल्लाह के सिवा, जिसे बुला सकते हो, बुला लो, यदि तुम सच्चे हो।'' [143] [सूरा हूद : 13]
"फिर यदि वे आपकी माँग पूरी न करें, तो आप जान लें कि वे केवल अपनी इच्छाओं का पालन कर रहे हैं, और उससे बढ़कर पथभ्रष्ट कौन है, जो अल्लाह की ओर से किसी मार्गदर्शन के बिना अपनी इच्छा का पालन करे? निःसंदेह अल्लाह अत्याचार करने वाले लोगों को मार्ग नहीं दिखाता।" [144] [सूरा अल-क़सस : 50]
जब मदीने में कुछ लोगों के यहाँ यह बात आम हो गई कि सूरज ग्रहण नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के बेटे इब्राहीम की मौत के कारण लगा है, तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक भाषण दिया और एक ऐसी बात कही, जो आज तक सूरज ग्रहण के संबंध में लोगों के बीच प्रचलित अंधविश्वासों का खंडण करती है। इसे आपने चौदह शताब्दियों से भी पहले स्पष्ट और साफ़ रूप से कहा था :
"सूर्य एवं चाँद अल्लाह की निशानियों में से दो निशानियाँ हैं। उनका ग्रहण किसी के मरने या पैदा होने से नहीं होता। अतः जब तुम लोग ऐसा होते देखो, तो अल्लाह को याद करो और नमाज़ पढ़ो।'' [145] [सहीह बुख़ारी]
यदि नबी झ़ूठे होते, तो अनिवार्य रूप से अपने संदेशवाहक होने की बात लोगों को मनवाने के लिए इस अवसर का लाभ उठाते।
उनकी नबूवत का एक प्रमाण ओल्ड टेस्टामेंट में उनके नाम एवं गुणों का उल्लेख भी है।
"एक पढ़ना न जानने वाले व्यक्ति को किताब दी जाएगी और उससे कहा जाएगा कि इसे पढ़ो, तो वह कहेगा : मैं पढ़ना नहीं जानता हूँ।" [146] [ओल्ड टेस्टामेंट, यशायाह (Isaiah) की किताब 29:12]
मुसलमान इस बात पर विश्वास नहीं रखते कि वर्तमान में मौजूद ओल्ड टेस्टामेंट और न्यू टेस्टामेंट अल्लाह की तरफ से हैं, क्योंकि उनमें बदलाव हो चुके हैं। परन्तु वे इस बात पर विश्वास रखते हैं कि उन दोनों का स्रोत सही है। दोनों दरअसल तौरात और इंजील हैं, (जिन्हें अल्लाह ने अपने नबियों मूसा एवं ईसा -उन दोनों पर अल्लाह की शांति हो- की ओर वह्यी की थी।। इसलिए ओल्ड टेस्टामेंट और न्यू टेस्टामेंट में कुछ चीज़ें पाई जाती हैं, जो अल्लाह की ओर से हो सकती हैं। अतः मुसलमान मानते हैं कि यदि यह भविष्यवाणी सही है, तो यह नबी मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के बारे में बताती है और यह सही तौरेत के अवशेषों में से है।
पैगंबर मुहम्मद जिस संदेश की ओर बुलाते थे, वह शुद्ध विश्वास है। वह दरअसल (एक पूज्य पर ईमान और केवल उसी की इबादत करना) है। आपसे पूर्व के सभी नबियों का यही संदेश था, जिसे आप सभी इनसानों के लिए लाए थे, जैसा कि क़ुरआन में आया है :
''(हे नबी!) आप लोगों से कह दें कि हे मानव जाति के लोगो! मैं तुम सभी की ओर उस अल्लाह का रसूल हूँ, जिसके लिए आकाश तथा धरती का राज्य है। कोई वंदनीय (पूज्य) नहीं है, परन्तु वही, जो जीवन देता तथा मारता है। अतः अल्लाह पर ईमान लाओ और उसके उस उम्मी नबी पर, जो अल्लाह पर और उसकी सभी (आदि) पुस्तकों पर ईमान रखते हैं और उनका अनुसरण करो, ताकि तुम मार्गदर्शन पा जाओ।'' [147] [सूरा अल-आराफ़ : 158]
मसीह को पृथ्वी पर किसी ने उतना सम्मान नहीं दिया, जितना सम्मान मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम- ने उन्हें दिया।
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है : ''मैं मरयम के बेटे ईसा का लोगों में सबसे निकटमत व्यक्ति हूँ। लोगों ने प्रश्न किया : हे अल्लाह के रसूल! वह कैसे? तो आपने फरमाया : सभी नबी भाई हैं, जैसे एक बाप और विभिन्न माँओं की संतान। उनका धर्म एक है। हमारे बीच कोई और नबी नहीं था (ईसा एवं मेरे बीच)।'' (सहीह मुस्लिम)
क़ुरआन में नबी मुहम्मद से ईसा -उन दोनों पर अल्लाह की शांति हो- का अधिक बार उल्लेख (4 बार की तुलना में 25 बार) हुआ है।
क़ुरआन के अनुसार ईसा की माँ मरयम को संसार की दूसरी महिलाओं पर श्रेष्ठता दी गई है।
इसी तरह मरयम वह अकेली महिला हैं, जिनके नाम का क़ुरआन में उल्लेख हुआ है।
क़ुरआन में मरयम के नाम से एक पूरी सूरत मौजूद है। ''ऐन अला-अल-हक़ीक़ह'' फ़ातिन स़ब्री, www.fatensabri.com
यह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सच्चाई का सबसे बड़ा प्रमाण है। यदि आप झूठे नबी होते तो आपकी पत्नियों, माँ-बाप या बच्चों का उल्लेख होता। यदि आप झूठे नबी होते तो आप ईसा -अलैहिस्सलाम- की महिमा नहीं करते और उनपर ईमान को मुसलमान के ईमान का एक स्तम्भ घोषित नहीं करते।
नबी मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- एवं हमारे समय के किसी भी संत या पुरोहित के बीच एक हल्की सी तुलना हमें आप -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की सच्चाई का पता देती है। आपने पैसे, प्रतिष्ठा या यहाँ तक कि किसी भी पुरोहित पद से मिलने वाले सभी विशेषाधिकारों को अस्वीकार कर दिया। आपने एतराफ़ को नहीं सुना और न विश्वासियों के पापों को क्षमा कर देने का दावा किया। आपने सीधे सृष्टिकर्ता की ओर लौटने की बात कही।
आपकी नुबवत की सच्चाई के सबसे बड़े प्रमाणों में से एक आपकी दावत का चारों दिशा में फैल जाना, लोगों का उसको स्वीकार करना और उसे अल्लाह की मदद प्राप्त होना है। अल्लाह ने मानव इतिहास में कभी नबी होने का झूठा दावा करने वाले किसी व्यक्ति को सफलता प्रदान नहीं की है।
अंग्रेजी दार्शनिक थॉमस कार्लाइल (1881-1795) ने कहा है: ''इस युग के किसी भी सभ्य व्यक्ति के लिए यह सबसे बड़ी शर्म की बात है कि वह कुछ लोगों की कही हुई इस बात को सुने कि इस्लाम एक झूठा धर्म है और मुहम्मद एक धोखेबाज़ हैं। हमें ऐसी बेवक़ूफाना और शर्मनाक बातों तथा अफवाहों के विरुद्ध लड़ना चाहिए। क्योंकि उस दूत ने जो संदेश दिया, वह हम जैसे लगभग दो सौ मिलियन लोगों के लिए बारह शताब्दियों से प्रकाशमान दीपक है। उनको उसी अल्लाह ने पैदा किया है, जिसने हमें पैदा किया है। मेरे भाइयों! क्या आपने कभी देखा है कि एक झूठ बोलने वाला आदमी धर्म बना सकता है और फैला भी सकता है? अल्लाह की शपथ! यह आश्चर्यजनक है। झूठा आदमी ईंटों का एक घर नहीं बना सकता है, यदि वह चूने, प्लास्टर, मिट्टी आदि के गुणों से अवगत नहीं है। वह जो भी घर बनाएगा वह मलबे का ढेर और सामग्री के मिश्रण का टीला होगा। वह अपनी नींव पर बारह शताब्दियों तक रहने योग्य नहीं होगा, जिसमें दो सौ मिलियन लोगों का निवास हो। वह ढह जाएगा और इस तरह नेस्तनाबूद हो जाएगा, जैसे था ही नहीं।" [150] पुस्तक ''अल-अब्ताल''