मध्य पूर्व में ईसाई, यहूदी एवं मुसलमान शब्द "अल्लाह" का प्रयोग पूज्य को बताने के लिए करते हैं। इसका अर्थ होता है एक सत्य पूज्य, जो मूसा एवं ईसा का भी पूज्य है। सृष्टिकर्ता ने पवित्र क़ुरआन में "अल्लाह" एवं दूसरे नामों एवं गुणों से अपना परिचय कराया है। शब्द ''अल्लाह'' का उल्लेख ओल्ड टेस्टामेंट के पुराने संस्करण में 89 बार हुआ है।
क़ुरआन में महान अल्लाह के जिन गुणों का उल्लेख हुआ है, उनमें से एक गुण "ख़ालिक" (सृष्टिकर्ता) है :
''वही अल्लाह है, पैदा करने वाला, अस्तित्व प्रदान करने वाला, रूप देने वाला। उसी के लिए शुभ नाम हैं, उसकी पवित्रता का वर्णन करता है जो (भी) आकाशों तथा धरती में है और वह प्रभावशाली, ह़िक्मत वाला है।'' [2] [सूरा अल-हश्र : 24]
वह अव्वल (प्रथम) है कि उससे पहले कुछ न था और आख़िर (अंतिम) है कि उसके बाद कुछ नहीं है। "वही प्रथम, वही अन्तिम और प्रत्यक्ष तथा गुप्त है और वह प्रत्येक वस्तु का जानने वाला है।" [3] सूरा अल-सजदा: 5]
वह मुदब्बिर और मुतस़र्रिफ़ (उपाय करने वाला तथा संचालक) है : ''वह प्रबंध करता है हर चीज़ का, आकाश से धरती तक।'' [4] [सूरा फ़ातिर: 44]
वह अलीम (सर्वज्ञ) एवं क़दीर (सर्वशक्तिमान) है : ''बेशक वह सर्वज्ञ एवं सामर्थ्यवान है।'' [5] [सूरा अल-शूरा: 11]
वह अपनी सृष्टि में से किसी के आकार में प्रकट नहीं होता : “उस जैसा कोई नहीं है। वह बड़ा सुनने वाला एवं देखने वाला है।” [6] [सूरा अल-इख़्लास़ : 1-4]
उसका कोई साझी नहीं है और न उसकी कोई संतान है : ''आप कह दीजिए कि वह अल्लाह एक है। अल्लाह बेनियाज़ है। न उसने ( किसी को ) जना और न (किसी ने) उसको जना है। और न उसके बराबर कोई है।'' [7] [सूरा अन-निसा : 111]
वह अल-ह़कीम (हिकमत वाला) है : ''तथा अल्लाह अति ज्ञानी तत्वज्ञ है।'' [8] [सूरा अल-कहफ़ : 49]
वह न्याय करने वाला है : ''और आपका रब किसी पर अत्याचार नहीं करता।'' [9] ****
यह प्रश्न सृष्टिकर्ता के बारे में ग़लत धारणा एवं उसे सृष्टि के समरूप समझने के कारण पैदा हुआ है। यह धारणा तार्किक और दार्शनिक दोनों रूप से अस्वीकृत है। उदाहरण स्वरूप :
क्या कोई व्यक्ति एक साधारण प्रश्न का उत्तर दे सकता है कि लाल रंग की गंध क्या होती है? बेशक, इस सवाल का कोई जवाब नहीं है। क्योंकि लाल रंग को उन चीजों में वर्गीकृत नहीं किया जाता है जिन्हें सूंघा जा सकता है।
उदाहरण के लिए, टीवी या रेफ़्रिजरेटर जैसी वस्तु या माल का निर्माता, उपकरण के उपयोग के लिए कुछ नियम निर्धारित करता है और इन निर्देशों को एक पुस्तिका में लिखता है, जो बताती है कि उपकरण का उपयोग कैसे करें और उस पुस्तिका को उस डिवाइस के साथ रख देता है। यदि उपभोक्ता उस डिवाइस से वांछित लाभ उठाना चाहता है, तो उसे इन निर्देशों का पालन करना होता है, जबकि निर्माता स्वयं इन क़ानूनों के अधीन नहीं है।
पिछले उदाहरणों से हम समझ सकते हैं कि हर कारण का कोई उत्पन्न करने वाला होता है, परन्तु आसान शब्दों में अल्लाह का कोई उत्पन्न करने वाला नहीं है और न उसे उन चीज़ों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिन्हें पैदा किया जा सके। क्योंकि वही अव्वल है, वह हर चीज़ से पहले है, अतः वही साधन का असली उतपन्न करने वाला है। यद्यपि कार्य-कारण का नियम ईश्वर के ब्रह्मांडीय नियमों में से ही है, मगर अल्लाह पाक जो चाहता है, करता है, वह पूर्ण सामर्थ्यवान है।