Applicable Translations සිංහල தமிழ் English Español ગુજરાતી عربي

वह धर्म जिसे सृष्टिकर्ता ने अपने बन्दों के लिए पसंद किया है :

धर्म क्या है?

धर्म जीवन व्यतीत करने का तरीक़ा है, जो इंसान के संबंध को उसके सृष्टिकर्ता के साथ एवं उसके आस-पास की चीज़ों के साथ सुनियोजित करता है। धर्म आख़िरत का रास्ता है।

धर्म की आवश्यकता क्या है?

धर्म की आवश्यकता खाने-पीने की आवश्यकता से भी अधिक है। इंसान स्वाभाविक रूप से धार्मिक है। यदि वह सत्य धर्म को नहीं पा सका, तो अपने लिए कोई न कोई धर्म गढ़ लेगा, जैसा कि मूर्तिपूजा पर आधारित धर्मों को लोगों ने गढ़ लिया। इंसान को जिस प्रकार इस दुनिया में शांति की आवश्यकता है, उसी प्रकार उसे मरने के बाद शांति की आवश्यकता है।

और सत्य धर्म ही अपने अनुयायियों को दोनों जहनों में पूर्ण शांति प्रदान करता है। उदाहरण स्वरूप :

यदि हम एक अनजान रास्ते पर चलें और हमारे सामने दो विकल्प हों। एक यह कि हम रास्ते में मौजूद बोर्डों के निर्देशों का पालन करें और दूसरा यह कि अंदाज़ा लगाने की कोशिश करें, जो हमारे खो जाने या हलाक हो जाने का कारण बन सकता है।

यदि हम एक टीवी खरीदें और उसके निर्देशों का पालन किए बिना उसे चालू करने का प्रयास करें, तो हम उसे खराब कर देंगे। एक ही निर्माता का टीवी सेट, जो यहाँ पहुँचता है, वह उसी अनुदेश पुस्तिका के साथ दूसरे देशों तक भी पहुँचता है। हमें एक ही तरह से इसका इस्तेमाल करना चाहिए।

उदाहरण के तौर पर यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से संबंध स्थापित करने की कोशिश करे, तो दूसरे व्यक्ति को चाहिए कि वह उसे कोई संभावित साधन बताए। मसलन कहे कि वह उससे फोन पर बात करे। ई-मेल से संबंध स्थापित करने का प्रयास न करे। अब ज़रूरी है कि वह उसी फोन नंबर का प्रयोग करे, जो उसे दिया गया है। किसी दूसरे नंबर से संबंध स्थापित करना संभव नहीं होगा।

पिछले उदाहरण बताते हैं कि इन्सान के लिए अपनी ख़्वाहिश की पैरवी करते हुए अल्लाह की इबादत करना संभव नहीं है, क्योंकि वह इस तरह से दूसरे को क्षति पहुँचाने से पूर्व अपने आपको क्षति पहुँचाएगा। हम कुछ समुदायों को देखते हैं कि वह सारे संसारों के पालनहार के साथ संबंध स्थापित करने के लिए अपनी इबादत के स्थलों में नाचते-गाते हैं, जबकि दूसरे लोग अपनी आस्था के अनुसार अपने पूज्य को जगाने के लिए ताली पीटते हैं। कुछ लोग मध्यस्थ के द्वारा अल्लाह की इबादत करते हैं और यह धारणा रखते हैं कि अल्लाह मानव या पत्थर के आकार में प्रकट होता है। अल्लाह चाहता है कि वह हमें खुद अपने आपसे सुरक्षित रखे, जब हम उन चीज़ों की पूजा करते हैं जो हमें न लाभ पहुँचाती हैं न हानि, बल्कि वे आख़िरत में हमारी बर्बादी का कारण बनती हैं। अल्लाह के साथ गैर अल्लाह की इबादत एक बहुत बड़ा गुनाह है और उसकी सज़ा सदैव के लिए नरक है। यह अल्लाह की महानता है कि उसने हमारे लिए एक व्यवस्था स्थापित की, जिसके अनुसार हम सब चलें, ताकि उसके तथा हमारे इर्द-गिर्द के लोगोंं के साथ हमारा संबंध स्थापित हो और इसी को धर्म कहा जाता है।