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इस्लाम में स्त्री का स्थान :

मुस्लिम महिलाएँ पर्दा क्यों करती हैं?

अल्लाह तआला ने कहा है :

"ऐ नबी! अपनी पत्नियों, अपनी बेटियों और ईमान वाले लोगों की स्त्रियों से कह दें कि वे अपने ऊपर अपनी चादरें डाल लिया करें। यह इसके अधिक निकट है कि वे पहचान ली जाएँ, फिर उन्हें कष्ट न पहुँचाया जाए। और अल्लाह बहुत क्षमा करने वाला, अत्यंत दयावान् है।" [205] [सूरा अल-अहज़ाब : 59]

मुस्लिम महिला विशिष्टता शब्द के अर्थ को अच्छी तरह समझती है। जब वह अपने बाप, भाई, बेटा एवं पति से प्यार करती है, तो समझती है कि उनमें से हर एक के साथ प्यार की एक विशिष्टता है। अपने पति, अपने पिता या अपने भाई से उसकी मोहब्बत उनमें से हर एक को उसका अधिकार देने की माँग करती है। उसके पिता का उसपर अधिकार है कि उसका सम्मान हो, भलाई के साथ पेश आया जाए, इसी तरह उसके बेटे का उसपर हक़ है कि उसकी देख-भाल हो एवं शिक्षा दी जाए। वह अच्छी तरह समझती है कि कब, कैसे और किसके सामने अपनी शोभा ज़ाहिर करनी है। वह किसी अजनबी के साथ मिलते समय उस तरह का कपड़ा नहीं पहनती, जिस तरह का कपड़ा किसी क़रीबी के साथ मिलते समय पहनती है। वह एक ही हालत में सबके सामाने नहीं आती। मुसलमान महिला एक स्वतंत्र महिला है। उसने दूसरों की ख़्वाहिश और फैशन के सामने बंदी बनने से इनकार कर दिया है। वह, उस तरह कपड़ा पहनती है जो उसके लिए उचित हो, जो उसे ख़ुशी प्रदान करे और उसके सृष्टिकर्ता को राज़ी करे। देखिए, कैसे पश्चिम में महिलाएँ फैशन और फैशन हाउसों की गुलाम बन गई हैं। यदि उनसे कहा जाए कि इस साल का फैशन छोटी, टाइट पैंट पहनने का है, तो महिलाएँ उसे पहनने के लिए दौड़ पड़ती हैं और यह नहीं देखती हैं कि यह उनके लिए फिट है या उसे पहनने में उन्हें आराम महसूस होता है या नहीं।

आज महिलाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं है, जब उन्हें एक वस्तु बना दिया गया है। लगभग हर विज्ञापन या प्रकाशन में नग्न महिला की तस्वीर होती है, जो पश्चिमी महिलाओं को इस युग में उनके मूल्य का एक अप्रत्यक्ष संदेश देता है। मुस्लिम महिला का अपनी ख़ूबसूरती को छुपाना, यह पूरी दुनिया को एक संदेश है कि वह बहुमूल्य इंसान और अल्लाह की ओर से सम्मानीय है। जो उससे बरताव करना चाहे उसके लिए अनिवार्य है कि वह उसके ज्ञान, सभ्यता, उसके दृढ़ विश्वास और विचार को देखकर निर्णय ले, न कि उसके जिस्म की ख़ूबसूरती को देखकर।

मुस्लिम महिला इस बात को भी समझती है कि मानव स्वभाव, जिसपर अल्लाह ने लोगों को पैदा किया है, उसकी मांग यह है कि समाज की रक्षा और अपने आपको कष्ट से बचाने के लिए वह अपनी ख़ूबसूरती को अजनबियों के सामने प्रकट न करे। मैं समझता हूँ कि इस तथ्य का कोई इंकार नहीं करेगा कि एक ख़ूबसूरत लड़की जो खुलेआम अपनी ख़ूबसूरती जाहिर करने में गर्व महसूस करती है, जब वह बुढ़ापे को पहुँचती है, तो यह इच्छा करती है कि काश सभी महिलाएँ पर्दा करतीं।

लोगों को आज प्लास्टिक सर्जरी के कारण होने वाली मृत्यु और अपंगता दर के आँकड़ों पर विचार करना चाहिए कि किस चीज़ ने महिला को यह सब पीड़ा सहने के लिए प्रेरित किया? बात दरअसल यह है कि पुरुषों ने उसे बौद्धिक सुंदरता के बजाय शारीरिक सुंदरता की प्रतिस्पर्धा में शामिल होने पर मजबूर किया, जिसने उसके सही मूल्य को, यहाँ तक कि उसके जीवन को भी नष्ट कर दिया।

क्या महिला का सर ढाँपना रूढ़िवादिता और पिछड़ापन है?

यदि सर ढ़ाँपना पिछड़ापन है तो क्या आदम -अलैहिस्सलाम- के पीछे भी कोई युग है? जबसे अल्लाह ने आदम -अलैहिस्सलाम- एवं उनकी पत्नी को पैदा किया और उन्हें जन्नत में जगह दी, उसी समय से उनके लिए पर्दा एवं लिबास उपलब्ध कराया है।

अल्लाह तआला ने कहा है :

''निःसंदेह तुम्हारे लिए यह है कि तुम इसमें न भूखे होगे और न नग्न होगे।'' [206] [सूरा ताहा: 118]

इसी प्रकार अल्लाह ने आदम की संतान के लिए लिबास उतारा, ताकि वे उससे पर्दा करें एवं शोभा एख़्तियार करें। उसी समय से मनुष्य अपने लिबास को विकसित करता रहा। जातियों के विकास को कपड़ों और पर्दे के विकास से मापा जाता है। यह ज्ञात है कि सभ्यता से अलग-थलग रहने वाले लोग, जैसे कि कुछ अफ्रीकी जाति, गुप्त अंग को ढकने के अलावा कुछ नहीं पहनते हैं।

अल्लाह तआला ने कहा है :

''ऐ आदम की संतान! निश्चय हमने तुमपर वस्त्र उतारा है, जो तुम्हारे गुप्तांगों को छिपाता है और शोभा भी है। और तक़वा (अल्लाह की आज्ञाकारिता) का वस्त्र सबसे अच्छा है। यह अल्लाह की निशानियों में से है, ताकि वे उपदेश ग्रहण करें।'' [207] [सूरा अल-आराफ़ : 26]

एक पश्चिमी व्यक्ति अपनी दादी की स्कूल जाते समय की तस्वीरों को देख सकता है और देख सकता है कि उसने क्या पहना था। जब पहली बार स्विमवियर सामने आया, तो उसके खिलाफ यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में प्रदर्शन हुए, क्योंकि यह प्रवृत्ति और प्रथा के खिलाफ था। इन प्रदर्शनों के पीछे धार्मिक कारण नहीं थे। चुनांचे निर्माण कंपनियों ने पांच साल की लड़कियों का उपयोग करके व्यापक विज्ञापन बनाने पर काम किया, ताकि वे शुरुआत में इसमें दिखाई दें, ताकि महिलाओं को इसे पहनने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। स्विमवियर पहनकर चलने वाली पहली बच्ची बहुत शर्मीली दिखाई दी और वह शो जारी नहीं रख सका। उस समय महिला और पुरुष पूरे शरीर को ढकने वाले काले और सफेद स्विमसूट में तैरते थे

इस्लाम में पुरुष और महिलाएं अपने शरीर को एक समान क्यों नहीं ढकते हैं?

पुरुषों और महिलाओं के बीच शारीरिक संरचना में अंतर है, इस बात पर दुनिया एकमत है। इसका एक स्पष्ट प्रमाण यह है कि पुरुषों की तैराकी के कपड़े पश्चिम में महिलाओं के कपड़ों से अलग हैं। फ़ितना को दूर करने के लिए महिला अपना पूरा शरीर ढाँपती है। क्या किसी ने कभी किसी महिला के किसी पुरुष का बलात्कार करने की घटना सुनी है? पश्चिम में महिलाएं उत्पीड़न या बलात्कार से सुरक्षित जीवन के अपने अधिकारों की मांग को लेकर प्रदर्शनों में भाग लेती रहती हैं, जबकि हमने पुरुषों द्वारा इस तरह के प्रदर्शनों के बारे में कभी नहीं सुना है।