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क़ुरआन ने विकासवाद की अवधारणा को कैसे सही किया?

पवित्र क़ुरआन ने आदम -अलैहिस्सलाम- की रचना की कहानी बताकर विकासवाद की अवधारणा को ठीक किया है :

जब इंसान का कोई अस्तित्व नहीं था :

"निश्चय इनसान पर ज़माने का एक ऐसा समय भी गुज़रा है, जब वह कोई ऐसी चीज़ नहीं था जिसका (कहीं) उल्लेख हुआ हो।'' [114] आदम -अलैहिस्सलाम- की रचना का अरंभ मिट्टी से हुआ :

[सूरा अल-इंसान : 1]

''और निःसंदेह हमने मनुष्य को तुच्छ मिट्टी के एक सार से पैदा किया।'' [115] ''जिसने अच्छा बनाया हर चीज़ को जो उसने पैदा की और उसने मनुष्य की रचना मिट्टी से शुरू की।'' [116]

[सूरा अल-मोमिनून : 12] ''निःसंदेह ईसा का उदाहरण अल्लाह के निकट आदम के उदाहरण की तरह है कि उसे थोड़ी-सी मिट्टी से बनाया, फिर उसे कहा : "हो जा", तो वह हो जाता है।'' [117]

[सूरा अल-सजदा: 7] मानव पिता आदम का सम्मान :

[सूरा आल-ए-इमरान : 59]

''(अल्लाह ने) कहा : ऐ इबलीस! तूझे किस चीज़ ने रोका कि तू उसके लिए सजदा करे जिसे मैंने अपने दोनों हाथों से बनाया? क्या तू बड़ा बन गया, या तू था ही ऊँचे लोगों में से?'' [118] मानव पिता आदम का सम्मान केवल इसलिए नहीं है कि वह स्वतंत्र रूप से मिट्टी से बनाये गये थे, बल्कि इसलिए है कि उन्हें सीधे सारे संसारों के रब के हाथों से बनाया गया था, जैसा कि इस पवित्र आयत में इशारा किया गया है। साथ ही अल्लाह ने अपने आज्ञापालन के तौर पर फ़रिश्तों से आदम को सजदा करने को भी कहा।

[सूरा स़ाद : 75]

''जब हमने फ़रिश्तों को आदेश दिया कि वे आदम को सजदा करे, तो इबलीस के सिवा सभी लोगों ने सजदा किया। उसने इंकार किया और घमंड किया और वह काफ़िरों में से था।'' [119] आदम -अलैहिस्सलाम- की संतान की रचना :

[सूरा अल-बक़रा : 34]

''फिर उसके वंश को एक तुच्छ पानी के निचोड़ (वीर्य) से बनाया।'' [120] फिर हमने उस वीर्य को एक जमा हुआ रक्त बनाया, फिर हमने उस जमे हुए रक्त को एक बोटी बनाया, फिर हमने उस बोटी को हड्डियाँ बनाया, फिर हमने उन हड्डियों को कुछ माँस पहनाया, फिर हमने उसे एक अन्य रूप में पैदा कर दिया। तो बहुत बरकत वाला है अल्लाह, जो बनाने वालों में सबसे अच्छा है।'' [121]

[सूरा अल-सजदा : 8] ''फिर हमने उसे वीर्य बनाकर एक सुरक्षित स्थान में रख दिया। ''तथा वही है, जिसने पानी (वीर्य) से मनुष्य को उत्पन्न किया, फिर उसके वंश तथा ससुराल के संबंध बना दिये। आपका पालनहार अति सामर्थ्यवान है।'' [122]

[सूरा अल-मोमिनून : 13-14] आदम -अलैहिस्सलाम- की संतान का सम्मान :

[सूरा अल-फ़ुरक़ान : 54]

''निश्चय ही हमने आदम की संतान को सम्मान प्रदान किया, और उन्हें थल और जल में सवार[44] किया, और उन्हें अच्छी-पाक चीज़ों की रोज़ी दी, तथा हमने अपने पैदा किए हुए बहुत-से प्राणियों पर उन्हें श्रेष्ठता प्रदान की।'' [123] हम यहां आदम की नस्लों की उत्पत्ति के चरणों (तुच्छ पानी, शुक्राणु, जोंक, भ्रूण) और जीवित जीवों की उत्पत्ति और उनके प्रजनन के तरीकों से संबंधित विकास के सिद्धांत में समानता देखते हैं।

[सूरा अल- इसरा : 70]

''(वह) आकाशों तथा धरती का रचयिता है। उसने तुम्हारे लिए तुम्हारी अपनी ही जाति से जोड़े बनाए तथा पशुओं से भी जोड़े। वह तुम्हें इसमें फैलाता है। उसके जैसी कोई चीज़ नहीं और वह सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ देखने वाला है।'' [124] [सूरा अल-शूरा : 11]

अल्लाह ने आदम की संतान को बनाने की शुरूआत तुच्छ पानी से की, ताकि सृष्टि के स्रोत की एकता और सृष्टिकर्ता की एकता की ओर इंगित किया जा सके। इसी तरह उसने आदम -अलैहिस्सलाम- को उनके सम्मान के तौर पर दूसरी सभी सृष्टियों से अलग पैदा किया, ताकि धरती पर उनको अपना ख़लीफ़ा बनाए जाने की अल्लाह तआला की हिकमत की प्राप्ति हो। अल्लाह ने आदम -अलैहिस्सलाम- को बिना बाप-माँ के पैदा किया, ताकि अपनी असीम क़ुदरत को प्रमाणिक करे। इसका एक दूसरा उदाहरण ईसा -अलैहिस्सलाम- को बिना बाप के पैदा करके पेश किया, ताकि यह उसकी असीम क्षमता को प्रमाणित करने वाला चमत्कार और लोगों के लिए एक निशानी हो।

''निःसंदेह ईसा का उदाहरण अल्लाह के निकट आदम के उदाहरण की तरह है कि उसे थोड़ी-सी मिट्टी से बनाया, फिर उसे कहा : "हो जा", तो वह हो जाता है।'' [125] [आल-ए-इमरान : 59]

बहुत-से लोग विकासवाद के सिद्धांत के आधार पर जिसका इनकार करने की कोशिश करते हैं, वह (सिद्धांत स्वयं) उनके खिलाफ सबूत है।