अंतरिक्ष में तैर रही पृथ्वी पर मनुष्यों की उपस्थिति ऐसे ही है, जैसे विभिन्न संस्कृतियों से संबंध रखने वाले यात्री एक विमान पर एकत्र हो जाएँ और वह उन्हें अज्ञात दिशा की ओर ले जाए और यह पता न हो कि विमान को चला कौन रहा है। लोग विमान पर खुद अपनी सेवा आप करने और परेशानियों को सहन करने पर मजबूर हों।
ऐसे में उनके पास पायलट की तरफ से केबिन क्रू के एक सदस्य द्वारा एक संदेश आए, जो उन्हें समझाए कि वे वहां क्यों हैं, उन्होंने कहाँ उड़ान भरी और कहां जा रहे हैं और उन्हें पायलट के व्यक्तिगत गुण और उनके साथ सीधे संवाद करने का तरीका बताए।
इसपर पहला यात्री कहे कि हाँ, यह स्पष्ट है कि विमान में एक चालक है और वह दयालु है, क्योंकि उसने इस व्यक्ति को हमारे सवालों के जवाब देने के लिए भेजा है।
दूसरा व्यक्ति कहे कि विमान में कोई चालक नहीं है और मुझे इस भेजे हुए व्यक्ति पर विश्वास नहीं है। हम यूँ ही आ गए हैं और हम यहाँ बिना लक्ष्य के हैं।
तीसरा व्यक्ति कहे कि कोई हमें यहां लाया नहीं है। हम ऐसे ही समूहबद्ध हो गए हैं।
चौथा कहे कि विमान में एक चानक है, लेकिन यह भेजा हुआ व्यक्ति उसका पुत्र है और चालक अपने पुत्र के रूप में हमारे बीच रहने के लिए आया है।
पांचवाँ कहे कि विमान में एक चालक है, लेकिन उसने किसी को संदेश के साथ भेजा नहीं है। विमान का चालक हमारे बीच रहने के लिए किसी भी रूप में आता है, हमारी उड़ान का कोई अंतिम पड़ाव नहीं है और हम हमेशा विमान पर ही रहेंगे।
छठा कहे कि विमान का कोई पायलट नहीं है और मैं अपने लिए एक प्रतीकात्मक काल्पनिक पायलट बनाना चाहता हूं।
सातवाँ कहे कि पायलट मौजूद है, लेकिन उसने हमें विमान में बिठाया और व्यस्त हो गया। वह अब हमारे मामलों में या विमान के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता है।
आठवाँ कहे कि पायलट मौजूद है और मैं उसके दूत का सम्मान करता हूं, लेकिन हमें यह निर्धारित करने के लिए विमान पर कानूनों की आवश्यकता नहीं है कि यह काम अच्छा है या बुरा। हम अपनी इच्छाओं और ख़्वाहिशों के आधार पर एक दूसरे के साथ व्यवहार करना चाहते हैं। इसलिए हम वही करते हैं जो हमें खुशी देता है।
नौवाँ कहे पायलट मौजूद है और वह केवल मेरा पायलट है तथा आप सब यहां मेरी सेवा करने के लिए हैं। किसी भी हाल में आप अपनी मंजिल तक नहीं पहुंचेंगे।
दसवाँ व्यक्ति कहे कि पायलट की उपस्थिति सापेक्ष है। वह उसके अस्तित्व में विश्वास रखने वालों के लिए मौजूद है और उसके अस्तित्व को नकारने वालों के लिए मौजूद नहीं है। इस पायलट, उड़ान के उद्देश्य और विमान के यात्रियों के आपस में व्यवहार के तरीकें के बारे में यात्रियों की हर धारणा सही है।
हम इस काल्पनिक कहानी से समझ सकते हैं, जो कहानी अस्तित्व की उत्पत्ति और जीवन के उद्देश्य के बारे में वर्तमान में पृथ्वी पर मानव की वास्तविक धारणाओं की एक झलक देती है :
यह स्वतः स्पष्ट है कि विमान में एक पायलट है, जो नेतृत्व जानता है और एक विशिष्ट लक्ष्य के लिए इसे एक तरफ से दूसरी तरफ ले जा रहा है और कोई भी इस सत्य से असहमत नहीं होगा।
वह व्यक्ति जो पायलट के अस्तित्व से इनकार करता है या उसके बारे में कई धारणाएं रखता है, उसे ही स्पष्टीकरण और व्याख्या देना है और उसी की धारणा सही या गलत हो सकती है।
यदि हम इस प्रतीकात्मक उदाहरण को सृष्टिकर्ता के अस्तित्व की वास्तविकता पर लागू करते हैं, तो हम पाते हैं कि अस्तित्व की उत्पत्ति के सिद्धांतों की बहुलता, एक व्यापक (अनियत) वास्तविक अस्तित्व को नकारती नहीं है। वह व्यापक वास्तविक अस्तित्व है :
एक ऐसा सृष्टिकर्ता, जिसका कोई साझी नहीं है और न औलाद है, वह सृष्टि से अलग अपनी ज़ात रखता है। वह किसी के आकार में प्रकट नहीं होता है। यदि पूरी दुनिया यह कहे कि सृष्टिकर्ता किसी जानवर या इंसान का शरीर धारण करता है, तब भी यह सत्य नहीं है। अल्लाह इन सब बातों से बहुत ऊँचा एवं पाक है।
वह सृष्टिकर्ता पूज्य न्याय प्रिय है। उसके न्याय में से यह है कि वह बदला एवं सज़ा दे और मानव के संपर्क में हो। वह पूज्य कभी नहीं हो सकता था यदि वह अपने बन्दों को पैदा करके छोड़ देता। वह उनकी तरफ रसूलों को भेजता है, ताकि वह उन्हें रास्ता बताए और मानव को अपने मार्ग से अवगत करे। उसका मार्ग यह है कि बिना किसी पुजारी, संत या किसी मध्यस्थ के, केवल उसी की इबादत की जाए और उसी का सहारा लिया जाए। जो इस रास्ते पर चलेगा, वह प्रतिफल का अधिकारी होगा और जो इसके विपरीत चलेगा, वह दंड पाएगा। यह सब कुछ आख़िरत में या तो जन्नत की नेमतों या जहन्नम के अज़ाब के द्वारा होगा।
इसी को ''इस्लाम धर्म'' कहते हैं। यही वह सत्य धर्म है, जिसको अल्लाह ने अपने बन्दों के लिए पसंद किया है।
उदाहरण के तौर पर क्या ईसाई यह नहीं मानते कि मुसलमान काफ़िर है, क्योंकि वह ट्रिनिटी के सिद्धांत में विश्वास नहीं रखता और उनकी मान्यता अनुसार उसपर विश्वास किए बिना (आकाश में) नेक लोगों के स्थान में प्रवेश संभव नहीं है। शब्द ''कुफ़्र'' का अर्थ सत्य का इंकार है। एक मुसलमान के लिए सत्य तौहीद (एकेश्वरवाद) है, जबिक ईसाई के लिए सत्य ट्रिनिटी है।